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चुनाव आयोग ने लगाया एग्ज़िट पोल पर प्रतिबंध

चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल 2024 से 1 जून 2024 तक एग्ज़िट पोल पर प्रतिबंध लगाकर चुनावी निष्पक्षता सुनिश्चित की...

by डीपी न्यूज़ टीम
भारत निर्वाचन आयोग ने एग्ज़िट पोल लगाई रोक

भारतीय चुनाव आयोग ने भारत के आगामी चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 19 अप्रैल 2024 से 1 जून 2024 तक 7 बजे शाम से सुबह 6:30 बजे तक एग्ज़िट पोल (बाहरी सर्वेक्षण) पर प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध 1951 के प्रतिनिधित्व के अधिनियम की धारा 126A (1) के तहत लगाया गया है।

प्रतिनिधित्व के अधिनियम की धारा 126A (1)

भारत के प्रतिनिधित्व के अधिनियम की धारा 126A (1) एग्ज़िट पोल (बाहरी सर्वेक्षण) पर प्रतिबंध लगाती है। इसके अनुसार, चुनाव के दौरान एग्ज़िट पोल और उनकी सूचनाएँ प्रकाशित नहीं की जा सकती हैं। यह उम्मीदवारों को निष्पक्षता में गहरा रहता है और चुनावी प्रक्रिया के नियमों का पालन करने में मदद करता है।

प्रतिबंध का मकसद

एग्ज़िट पोल पर लगाए गए प्रतिबंध का मुख्य मकसद चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और न्याय को सुनिश्चित करना है। बाहरी सर्वेक्षण उस समय किए जाते हैं जब मतदाता मतदान केंद्र से बाहर निकलते हैं। इसमें उनके मतदान के आधार पर वोट का अनुमान लगाया जाता है। इस जानकारी का प्रसार चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और जनसंख्या के विचारों को परिणाम के बारे में पूर्वानुमानित कर सकता है। इस प्रकार, इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य है कि चुनावी प्रक्रिया में संवेदनशीलता और निष्पक्षता बनाए रखा जाए।

राजनेताओं के टिप्पणी और मीडिया के गलत सूचनाओं के माध्यम से खतरा

प्रतिबंध के लागू होने के बाद, राजनेता और मीडिया द्वारा विवादास्पद टिप्पणियों का सामना हो रहा है। कई राजनेताओं ने मीडिया को चुनाव कवरेज को विवादास्पद बताते हुए कट्टरपंथी टिप्पणियां की हैं, जबकि कुछ अन्य लोगों ने जनसंख्या के कुछ सेगमेंट को बाहरी प्रभावों के आसान शिकार बताया है। इन टिप्पणियों के बाद, जनसंख्या में विचारों का प्रभाव डालने की संभावना बढ़ जाती है और चुनावी प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

चुनाव आयोग की पहल

चुनाव आयोग की इस पहल से उनकी निष्कर्ष और निष्पक्षता की प्रतिबद्धता प्रकट होती है। एग्ज़िट पोल पर प्रतिबंध लगाने के माध्यम से वह सुनिश्चित कर रहे हैं कि चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और संवेदनशीलता बनी रहे। चुनावी प्रक्रिया में समर्थन का व्यापार होते समय चुनाव आयोग की इस पहल ने साबित किया है कि यह केवल नियमों का पालन करने में ही नहीं बल्कि निष्पक्षता और स्वतंत्रता के मामले में भी विश्वास है।

निष्कर्ष

चुनाव के प्रत्याशित नतीजे की राह पर, चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और न्याय की मौजूदगी को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग की पहल अत्यधिक महत्वपूर्ण है। चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से समाज में सही मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है। यह प्रतिबंध चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और देश की लोकतंत्रिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए उनकी इस कड़ी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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